राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा अभियान की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 4000 बिलियन क्यूबिक मीटर बारिश होती है; हालाँकि, वर्षा जल संचयन के मामले में भारत का स्थान विश्व-सूची में बहुत नीचे है – जो अपनी वार्षिक वर्षा का केवल 8% ही संचयन कर पाता है। इसलिए भूजल संचयन का महत्व है। ऐसे पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने से जल संरक्षण में मदद मिलेगी।
- प्राचीन भूजल संचयन के तरीके: प्राचीन भूजल संचयन तकनीकों जैसे कुंड, झालरा, बावड़ियों, जोहड़ आदि, प्राचीन जल सिंचाई प्रणाली आदि के बारे में जागरूकता।
- भूजल का संरक्षण: पानी की बर्बादी को कम करने, उपयोग किए गए पानी का पुन: उपयोग करने, भूजल पुनर्भरण करने, अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण करने के बारे में साक्षरता; सूखे के वर्षों के दौरान तालाब के पानी का उपयोग करके फसलों को बचाने के तरीकों के बारे में ज्ञान; पानी पंचायत जैसी अनौपचारिक जल समितियों के गठन के लाभ; अनुभवात्मक शिक्षण विधियों और खेलों के माध्यम से जल संरक्षण सीखना; खाली स्थानों पर तालाब निर्माण के लाभ और सामुदायिक तालाब संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता; संरक्षण तकनीकों के बारे में जागरूकता जैसे: ग्रामीण वर्षा केंद्र, वर्षा जल संचयन संरचनाएं (मछली-सह-धान), किसानों के बीच भूजल का बंटवारा, खड़ी ढलानों में खेती के लिए जल भंडारण, जलसंभर प्रबंधन तकनीक आदि।
- सफाई एवं स्वच्छता: सुरक्षित पेयजल, निम्न-स्तरीय साफ-सफाई (जलजनित रोग) के प्रतिकूल प्रभाव, पानी की गुणवत्ता और स्वच्छता के बीच संबंध के बारे में ज्ञान, जल जमाव एवं यह पानी की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करता है आदि के बारे में साक्षरता ।
Status and importance of traditional water conservation system in present scenario, Central Soil and Materials Research Station, New Delhi, National Mission for Clean Ganga (NMCG) (2019)
आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में, माननीय प्रधान मंत्री ने जल संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के दृष्टिकोण से 24 अप्रैल 2022 को 'अमृत सरोवर' पर एक अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान का उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले के 75 जल निकायों में सुधार और कायाकल्प करना है ।
- अमृत सरोवर का उपयोग: एक जिले में स्थानीय जल निकाय के निर्माण के लाभ, धारा प्रवाह को विनियमित करने के बारे में जागरूकता, झील आवास के बारे में जागरूकता, जलीय और अर्ध जलीय पौधों और जानवरों के बारे में ज्ञान, बाढ़ और सूखे के प्रभावों एवं भूजल की पुनःपूर्ति के तरीकों आदि के बारे में जागरूकता।
- अमृत सरोवर से संभावित पहल: जिलों में मौजूद अन्य जल निकायों का कायाकल्प, पारिस्थितिक और जलीय जीवन की बहाली, जल आधारित आजीविका में वृद्धि, जल निकायों का बेहतर संरक्षण और स्वच्छता आदि।