रामदयाल तिवारी का जन्म 30 जुलाई, 1892 को रायपुर में हुआ था। उनके पिता पंडित राम बगस तिवारी एक शिक्षक थे। राम दयाल तिवारी में पढ़ने की अत्यधिक ललक थी अतः ट्यूशन पढ़ाकर उन्होंने सन् 1911 में बी.ए. की परीक्षा पास कर ली और रायगढ़ रियासत में शिक्षकीय की कार्य करने लगे। सन् 1915 में इलाहाबाद जाकर उन्होंने एल.एल.बी भी कर लिया। वे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, मराठी और उड़िया भाषा का अच्छा ज्ञान रखते रखते थे।
सन् 1915 से वे रायपुर में वकालत कर रहे थे। सन् 1918 में रायपुर में हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना में उनका योगदान था। सन् 1920 में स्थापित रायपुर म्यूनिंसिपल शिक्षक संघ के वे सभापति बनाए गए। प्यारेलाल सिंह, माधव राव सप्रे और यति यतनलाल जी की प्रेरणा से वे गांधीवादी आंदोलन में भाग लेने लगे और एक अच्छे वक्ता के रूप में प्रसिद्ध हो गए हो गए। सन् 1923 में उन्होंने धमतरी तहसील राजनीतिक सम्मेलन की अध्यक्षता की।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान 10 जुलाई, 1930 को अकोला और अमरावती से राजनीतिक बंदियों की स्थानांतरण की सूचना मिलने पर रायपुर प्लेटफार्म पर उनके स्वागत हेतु रायपुर के स्वयंसेवक एकत्रित थे तब उन पर लाठीचार्ज किया गया। इस पर जनता का आक्रोश उमड़ पड़ा अतः 22 अगस्त, 1930 को कांग्रेस की ओर से एक जांच समिति गठित की गई। जिसमें एक सदस्य तिवारी जी भी थे। इसी वर्ष तिवारी जी ने नगर बुद्विजीवियों को लेकर एक संस्था ‘‘नेशनल स्कूल ऑफ पॉलिटिक्स’’ जनजागरण के कार्य हेतु निर्मित की।