रामभरोसे सोनी का जन्म 15 अप्रैल, 1915 को रायपुर जिले के धमतरी तहसील में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री लालमणि सोनी था। धमतरी से ही मिडिल स्कूल तक शिक्षा प्राप्त की थी। सितंबर सन् 1930 में जंगल सत्याग्रह के कारण धमतरी में धारा 144 लगा थी। रामभरोसे जी रुद्री जंगल सत्याग्रह के समय सत्याग्रहियों के साथ गिरिफ्तार किए गए। उन्हें बेतों की सजा मिली ।
सन् 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान रामभरोसे जी एक प्रशिक्षित सत्याग्रही थे। कुछ समय तक वे सत्याग्िरहयों की सहायता करने के लिए नियुक्त किए गए थे। किंतु इस आंदोलन के द्वितीय चरण में वे स्वयं तिरंगा लेकर गांव-गांव निकल पड़े। कई स्थानों में ब्रिटिश शासन के विरोध में सभाएं की। इसके पश्चात् उनकी गिरफ्तारी हो गई तथा उन्हें युद्ध विरोधी नारे लगाने एवं भाषण देने के जुर्म में 4 माह का कठोर कारावास की सजा मिली।
जेल से मुक्त होने के पश्चात् अगस्त 1942 में जुलूस एवं शासन विरोधी गतिविधियों में सक्रिय हो गए थे। गंगरेल ग्राम के पास रुद्रेश्वर मंदिर में आंदोलनकारियों की गुप्त बैठक की थी। यहां पर धमतरी स्वयंसेवकों के साथ रूद्री, नगरी-सिहावा, उमरगांव आदि ग्रामों के स्वयंसेवक भी आते थे तथा बड़ा आंदोलन करने की योजना बनाते थे। सितंबर माह में रात में पुलिस शिविर पर हमला कर उनके टेंट उखाड़ दिए। पुलिस ने अनेक स्वयं सेवकों को गिरफ्तार कर लिया जिसमें रामभरोसे सोनी जी भी थे। उन्हें 6 माह का कठोर कारावास की सजा हुई, उन्हें डी.आई.आर (डिफेंस ऑफ इंडिया रूल) की धारा 26(5) एवं 34(7) के अंतर्गत दिनांक 6 सितंबर, 1942 को रायपुर केंद्रीय जेल में भेजा गय, जहां से 25 मार्च, 1943 को मुक्त हुए।