
भैयालाल पंसारी का जन्म रायपुर जिले के धमतरी तहसील में दिनांक 19 अक्टूबर, 1914 में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री शिवलाल पंसारी एवं माता का नाम श्रीमती जमुना बाई था। छत्तीसगढ़ में धमतरी का राजनीतिक महत्व बहुत अधिक था। धमतरी के एक बड़े मालगुजार श्री नत्थू जी जगताप का घर सत्यग्रहियों को प्रशिक्षण देने का स्थल बना हुआ था। वे सत्याग्रह के लिए डिक्टेटर भी नियुक्त किए गए थे। भैयालाल पंसारी श्री जगताप के घर पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रुद्री नवागांव के जंगल पहुंच गए थे। रुद्री में अगस्त 1930 से ही सत्याग्रह प्रारंभ हो चुका था, इसलिए वहां पर पुलिस ने धारा 144 लगा दिया था किंतु आंदोलन नहीं रोक पा रहे थे। लोग 5-5 के जत्थे में जाकर जंगल से घास काट कर वन कानून को भंग कर रहे थे, स्थिति को संभालने के लिए रायपुर से अंग्रेज पुलिस अधिकारी यहां भेजे गए। उन्होंने पूरे धमतरी में ही 10 सितंबर से धारा 144 लगा दिया था और नेताओं स्वयंसेवकों को घर से ही गिरफ्तार करने लगे थे। रुद्री नवागांव जंगल में सत्याग्रह करने के कारण भैयालाल पंसारी को 17 सितंबर, 1930 को गिरफ्तार कर लिया गया उन्हें धारा 26(ळ) वन कानून के तहत 6 माह का कठोर कारावास की सजा दी गई थी वे 20 सितंबर, 1930 से 2 फरवरी, 1931 तक रायपुर केन्द्रीय जेल में रहे। उन्हें 47 दिन की छूट प्राप्त हुई थी।
अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। फलस्वरूप उन्हें 8 अक्टूबर, 1942 को रायपुर केंद्रीय जेल में भेज दिया यहां से वे 18 मार्च, 1943 को मुक्त हुए थे। उनका देहावसान 16 मार्च, 1976 को हो गया।