जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बाल श्रम को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया हुआ है। जिला में कहीं भी बाल मजदूरी करवाए जाने का मामला पाया गया तो दोषी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
प्राधिकरण सचिव व सीजेएम सौरभ कुमार ने आज लघु सचिवालय सभागार में बाल मजदूरी रोकने के लिए आयोजित की गई कार्यशाला में ये शब्द कहे। उन्होंने कहा बचपन बचाओ आंदोलन संस्था ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को एक प्रस्ताव दिया है। जिसमें कहा गया है कि एक से तीस जून तक बाल मजदूरी में फंसे हुए बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाने और घर भिजवाने का कार्य किया जाएगा। जिसमें पुलिस, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला बाल संरक्षण अधिकारी व चाइल्ड हेल्प लाइन की टीम मिलकर काम करेगी।
कार्यशाला में सीजेम सौरभ ने बताया कि बाल मजदूरी एक अभिशाप है, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास रुक जाता है। बाल मजदूरी एक कानूनी अपराध है। बाल मजदूरी करवाने वालों को दो साल की सजा व पचास हजार रूपए तक जुर्माना हो सकता है।
इस अवसर पर अधिवक्ता दिव्यता गोयल ने बताया कि बाल मजदूरी को रोकने के लिए सभी अधिकारियों व संस्थाओं को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। बाल मजदूरी करने वाले बच्चों के परिजनों की काउंसलिंग करवाई जाएगी। जिससे वे अपने बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए उनका स्कूल में नाम लिखवा सके। कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए। बाल मजदूरी के खिलाफ लोगों को जागरुक करना और जो लोग कानून का उल्लंघन करते हैं, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही करवाना जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य है।
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