आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आजादी के दीवाने कार्यक्रम आयोजन किया गया। बच्चो को आजादी का मतलब समझने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राजीव विधयालय संस्था प्रधान ने बताया कि हमारे वेदों का वाक्य है- मृत्योः मुक्षीय मामृतात्। अर्थात, हम दुःख, कष्ट, क्लेश और विनाश से निकलकर अमृत की तरफ बढ़ें, अमरता की ओर बढ़ें। यही संकल्प आज़ादी के इस अमृत महोत्सव का भी है। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी- आज़ादी की ऊर्जा का अमृत, आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी आत्मनिर्भरता का अमृत। और इसीलिए, ये महोत्सव राष्ट्र के जागरण का महोत्सव है। ये महोत्सव, सुराज्य के सपने को पूरा करने का महोत्सव है। ये महोत्सव, वैश्विक शांति का, विकास का महोत्सव है। मतलब साफ है स्वतंत्रता दिवस जश्न का दिन तो है ही, लेकिन यह सिर्फ जश्न का ही दिन नहीं है। हमें जश्न के साथ चिंतन करने की भी जरुरत हैं। हमें दुनिया के मुकाबले अपनी व्यावहारिक रुप से तुलना करने की जरुरत है। ताकि कोरी कल्पना से बाहर निकलकर हम यर्थाथ का भी सामना कर सकें। हमें अपने देश पर गौरव है, लेकिन नीति, विचार, व्यावहार की वजह से कहीं हमारा देश पिछड़ तो नहीं रहा है? इसे भी जांचने-परखने की जरुरत है। किसी भुलावे के साथ जीने से बेहतर है कि हम सच को स्वीकार करें और उसे बेहतर बनाने के लिए प्रयास करें।
