आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता सेनानी चंद्रप्रभा सैकियानी की 122वीं जयंती के उपलक्ष्य पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन राजकीय महाविद्यालय बिरोहड़ के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग एवं हरियाणा इतिहास कांग्रेस के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस विशेष कार्यक्रम के संयोजक एवं इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अमरदीप ने कहा कि असम में राष्ट्रीय आंदोलन को नई जान फूंकने में चंद्रप्रभा सैकियानी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि 16 मार्च 1901 में असम के कामरूप जिले के दोइसिंगारी गांव में जन्मीं चंद्रप्रभा सैकियानी बचपन से बड़े बदलाव कर रहीं थीं। चंद्रप्रभा और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने वस्त्र यजना यानि विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करने को लेकर मुहिम चलाई और वस्त्रों को जलाया, जिसमें बड़े पैमाने पर महिलाओं ने भी भाग लिया। चंद्रप्रभा ने स्वतंत्रता आंदोलन को असम के कोने-कोने तक पहुंचाने और महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए पूरे राज्यभर में साइकिल से यात्रा की। ऐसा करने वालीं वे राज्य की पहली महिला मानी जाती हैं। 1930 में उन्होंने असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया और जेल भी गईं और 1947 तक वे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर काम करती रहीं। इसके साथ-साथ उन्होंने समाज सुधार के कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए 1925 में असम के महिलाओं की पर्दा प्रथा के खिलाफ जोरदार मुहिम चलाई। इसके साथ साथ उन्होंने अपने गांव में अनुसूचित जाति के लोगों को तालाब से पानी लेने की अनुमति दिलवाने की मुहिम चलाई और सफलता पाई। कार्यक्रम में प्रोफेसर जितेंद्र आदि उपस्थित रहे।