हिसार- आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग द्वारा स्थानीय बाल भवन परिसर में 1857 का संग्राम-हरियाणा के वीरों के नाम’ नाटक का मंचन किया गया। उपायुक्त उत्तम सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित नाटक में चंडीगढ़ के फुटप्रिंट थिएटर ग्रुप के कलाकारों ने देश की आजादी के लिए शुरू किए गए 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के वीरों की भूमिका का प्रभावशाली रूपांतरण किया। इस मौके पर नगराधीश राजेश खोथ ने नाटक मंचन की प्रशंसा करते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में सरकार द्वारा इन कार्यक्रमों के माध्यम से महान स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया जा रहा है। इसके साथ-साथ इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को अमर वीर शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन संघर्ष से अगवत करवाना है, ताकि वे उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें। नाटक में अपने अभिनय के माध्यम से चेनिस गिल और उनकी टीम के कलाकारों ने दर्शाया कि अंग्रेजी हुकूमत ने आवाम पर असहनीय जुल्म किए। न केवल हरियाणा बल्कि पूरा हिंदुस्तान उनके जुल्म की आग में झुलसा। आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी। देश की आजादी के लिए शुरू किए 1857 के संग्राम की शुरुआत अंबाला से 10 मई से हुई। इस क्षेत्र के वीर जवानों ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया। नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि अंबाला की छावनी नंबर नौ और छावनी नंबर 60वीं ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले मुखालफत की और लड़ाई शुरू की। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दर्शाया कि रेवाड़ी के राजा राव तुलाराम, बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह, बहादुरगढ़ के राजा जंग बहादुर, हिसार के नवाब मोहम्मद अजीम ने आपस में मिलकर अंग्रेजी कंपनी हुकूमत के खिलाफ बगावत करने का फैसला लिया। सदरूदीन ने अपने गांव व आसपास क्षेत्र के लोगों को अपने साथ जोड़कर अंग्रेजों के खिलाफ पूरी फौज खड़ी की। उसकी बहादुरी के चलते राव तुलाराम ने सदरूदीन को अपनी सेना का सेनापति बनाया। सदरूदीन ने अंबाला छावनी के सिपाहियों को भोज दिया और एक गीत के माध्यम से बताया कि रोटी बांटी गुड़ की डली और प्रेम का भोज लगाया, गांव-समाज की मां-बहनों ने लंगर आप बनाया। कलाकारों ने बताया कि अंबाला में पहली शहादत क्रांतिकारी मोहर सिंह ने दी, जिनको अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया था। कलाकारों ने बताया कि देश की आजादी के लिए पूरे हरियाणा के वीरों ने अंग्रेजों के साथ लड़ाई लड़ी और अपनी वीरता का परिचय दिया। यह पूरा नाटक हरियाणा वासियों के कठोर संघर्ष की दास्तान को बयान करता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए शुरू किए गए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान दिया।