आजादी का अमृत महोत्सव के तहत राजकीय महाविद्यालय बिरोह के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग एवं हरियाणा इतिहास कांग्रेस के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम हुआ। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. रणवीर सिंह आर्य के निर्देशन में महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक महाशय भीखू लाल की 119 वीं जयंती के अवसर के अवसर पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया कार्यक्रम के संयोजक और मुख्य वक्ता डॉ. अमरदीप, इतिहास विभागाध्यक्ष ने कहा कि महाशय भीखू लाल आधुनिक समतामूलक भारत के निर्माताओं में से एक थे जिन्होंने सामाजिक समानता के लिए और धार्मिक अंधविश्वासों को समाप्त करने के लिए आजीवन संघर्ष किया वह एक ऐसे गुमनाम योद्धा थे जिन्होंने जमीनी स्तर पर बड़े बदलाव किए और जिसका असर पूरे इलाके में दिखाई पड़ता है। 1904 में अजुहा, उत्तर प्रदेश में जन्मे महाशय भीलाल ने बदलाव की शुरुआत सर्वप्रथम घर से ही की और दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किये।उन्होंने धार्मिक अंधविश्वासों का जोरदार खंडन अपने घर से ही किया सर्वप्रथम उन्होंने तुला दान का विरोध किया और गाजी मियां की चौकी एवं मूर्ति पूजा का विरोध किया। ग्रामीण जीवन में राष्ट्रीयता के विकास और आजादी के लिए संघर्ष में गांधी पुस्तकालयों ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और महाशय भीखू लाल भी निरंतर इन पुस्तकालयों में जाकर आजादी के संघर्ष में शामिल होने लगे स्वामी अछूतानंद द्वारा 1922 में शुरू किए गए आदि हिंदू आंदोलन में बढ़- चढ़कर भाग लिया और अछूत समुदाय के सामाजिक, आर्थिक उत्थान एवं राजनीतिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया। वर्ष 1931 की गोलमेज सम्मेलन के दौरान गांधी और आंबेडकर के अछूतों के प्रतिनिधि होने पर प्रश्न उठने पर इन्होंने गांव-गांव जाकर डॉ. आंबेडकर के पक्ष में टेलीग्राम लिखने के लिए लोगों को प्रेरित किया।वर्ष 1966 में इनके पुत्र गुरु प्रसाद मदन ने पूरे इलाके में प्रथम स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद महाशय भीखू लाल ने उनसे वचन लिया कि वह कभी सरकारी नौकरी नहीं करेगा बल्कि आधुनिक भारत के समतामूलक भारत के निर्माण में अपना योगदान देगा। इस अवसर पर प्रोफेसर जितेंद्र, पवन कुमार इत्यादि उपस्थित रहे।