भारत सरकारGOVERNMENT OF INDIA
संस्कृति मंत्रालयMINISTRY OF CULTURE
Dungarpur, Rajasthan
November 09, 2022 to November 09, 2023
नाना भाई खांट और काली बाई का नाम शिक्षा पर हुई शहादत में स्वर्णक्षरों में अंकित है। यह घटना 19 जून, 1947 की है जबकि डूंगरपुर राज्य के रास्तापाल गाँव में एक साथ भील नेता नानाभाई खांट और भील बालिका कालीबाई शहीद हुए । नानाभाई खांट भोगीलाल पंडया के नेतृत्व में कार्य करने वाले एक सत्यनिष्ठ भील नेता थे और राजस्थान सेवा संघ द्वारा गांव-गांव में शिक्षा का प्रचार प्रसार करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उनका कोई कार्य न राजद्रोह था और न राज्य विरोधी । डूंगरपुर के महारावल लक्ष्मणसिंह नहीं चाहते थे कि राज्य में शिक्षा का प्रसार हो। उनका मानना था कि भील या अन्य किसान जनता यदि शिक्षित हो गई तो नागरिक अधिकारों की मांग करेगी और किसी भी समय उनकी राजसत्ता को उखाड़ फेंकेगी। राज्य सरकार ने पच्चीस वर्षों से चलने वाले बागड सार्वजनिक छात्रावास से सब भील और पटेल छात्रों को निकाल दिया। सेवा संघ की पाठशालाएं और छात्रावास बन्द करने के लिए राज्य द्वारा भयंकर दमन किया गया। उन्हांेने खानगी पाठशाला संचालन नियम कवायद छात्रावास 1943 जैसे प्रतिगामी एवं शिक्षा प्रचार पर कुठाराघात करने वाले कानूनों का निर्माण कर डूंगरपूर में एक काला अध्याय जोड़ दिया। इन्हीं आदेशों के आधार पर डूंगरपुर के मजिस्ट्रेट और सुप्रीटंेडेंट पुलिस फौजी सैनिकों के साथ रास्तापाल की पाठशाला बंद करवाने के लिए 19 जून, 1947 को वहां पहुंचे। पाठशाला नाना भाई के घर में ही चलती थी। कमरे में प्रवेश करते ही मजिस्ट्रेट ने नाना भाई को इसी समय पाठशाला बंद कर चाबियां उन्हें सौंपने को कहा परन्तु नाना ने मना कर दिया। मजिस्ट्रेट के आदेश से पुलिस व फौजी सैनिकों ने नाना तथा अध्यापक सैंगा भाई को मारना शुरू कर दिया। उन्हे बार-बार पूछा गया कि पाठशाला बंद करोगे। उनके ना कहने पर बंदूक के कूंदों से बुरी तरह घायल कर दिया गया फिर बंदूकों के प्रहार से नाना भाई बाहर खेत में गिर गए और वहीं चल बसे। सैंगा भाई पिटते हुए बेहोश होने की स्थिति में आ गए। सैनिकों द्वारा उनकी कमर पर रस्सा बांध कर उन्हें गाड़ी से घसीटा गया। इसी दौरान गांव से गुजरते हुए बारह वर्ष की नन्ही बालिका जो घास काट कर आई थी उसने शिक्षक को इस प्रकार ले जाने का विरोघ किया और चिल्लाकर कहा कि मेरे मास्टर को क्यों घसीट रहे हो ? मेरे मास्टर को क्यों मार रहे हो ? मेरे मास्टर को कहाँ ले जा रहे हो ? जैसे ही गाड़ी रूकी काली बाई नामक उस बालिका ने दांतली से सैंगा भाई की कमर की रस्सी को काट दिया। उसने चिल्लाकर कहा कि पानी लाओ, कोई पानी लाओ ! इसी दौरान सैनिकों ने काली बाई पर गोलियां बरसा दी और वहीं पर वह धराशायी हो गई। काली बाई को अस्पताल ले जाया गया। वह घण्टों तक बेहोश रही इसी बेहोशी की अवस्था में वो चल बसी।