भारत सरकारGOVERNMENT OF INDIA
संस्कृति मंत्रालयMINISTRY OF CULTURE
Bikaner, Rajasthan
November 04, 2022 to November 04, 2023
राम नारायण शर्मा बीकानेर के नेता स्वर्गीय श्री मघाराम वैद्य के पुत्र हैं। 1936 में श्री मधाराम जी को 6 वर्ष के लिए देश निकाला हुआ था तब 10 वर्ष के राम नारायण भी अपने पिता के साथ खानाबदोशी में साथ थे. अपने निर्वासन के समय श्री मघाराम वैद्य कलकत्ता में अखिल भारतीय युथ लीग के फॉरवर्ड ब्लाक के मंत्री चुन लिए गए थे और दिन रात बंगाल की राष्ट्रीय प्रवृत्तियों में रमे रहते थे। ये ही संस्कार बालक राम नारायण को मिलते गए। कलकत्ता में रह कर श्री राम नारायण ने ब्लेक हाल के आन्दोलन में भाग लिया था तथा ढाका-नारायण गंज के साम्प्रदायिक दंगों से पीडित लोगों की सेवा में अपने पिता के साथ कार्य किया था. 9 दिसम्बर, 1942 को श्री राम नारायण ने बीकानेर में राज्य के सभी प्रतिबन्धों को तोड़ कर तिरंगा झण्डा फहराया था और बीकानेर के मुख्य मार्ग पर इन्कलाब जिंदाबाद के नारों के साथ निकल पड़े थे। हजारों की भीड़ उनके साथ हो गई। उत्साह में झूमता हुआ यह जुलूस जब दाऊजी रोड़ पर मार्च कर रहा था उस समय पुलिस ने राम नारायण को गिरफ्तार कर किया। उन्हें सात दिन तक अमानुषिक यातनाएं देकर छोड़ दिया गया। सन् 1944 में 26 जनवरी का उत्सव मनाने के अपराध में राज्य की पुलिस ने राम नारायण को अचानक गिरफ्तार कर लिया और उन्हें सेंट्रल जेल में नजरबंद कर दिया। बीकानेर के महाराजा गंगासिंह की मृत्यु के बाद ही वे रिहा किए जा सके। बीकानेर की पुलिस ने राम नारायण शर्मा पर डकैती के झूठे मुकदमे लगाने की बहुत कोशिश की लेकिन बीकानेर में एक भी आदमी उनके खिलाफ झूठी गवाही देने को तैयार नहीं हुआ। 4 जुलाई, 1945 को जब राम नारायण दुधवाखारा किसान आन्दोलन के सिलसिले में किसानों के विशाल जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे तब जस्सूसर गेट के पास गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें 15 दिन तक पुलिस हिरासत में अमानुषिक यातनाएं दो गई और 21 जुलाई को जेल में भेजा गया। 4 महीने मुकदमा चलने के बाद राम नारायण को 9 महीने की सश्रम कारावास की सजा दी गई जिसमें 4 महीने उन्हें काल कोठरी में निकालने पड़े। जल के दुर्व्यवहार के विरोध में राम नारायण को 35 दिन तक अनशन करना पड़ा तब कहीं जाकर उनके साथ जेल में राजनैतिक कैदियों जैसा व्यवहार होने लगा। रामनारायण शर्मा ने जेल से मुक्त होने के बाद क्रांति संदेश नाम के एक पाक्षिक पत्र का प्रकाशन और संपादन शुरु किया है। वे बीकानेर पालिका के एक अत्यंत लोकप्रिय प्रभावशाली और कर्मठ पार्षद है। उनकी निस्वार्थ सेवा-भावना, के प्रति उनकी निष्ठा के कारण बीकानेर की जनता का स्नेह और विश्वास उन्हें आज भी प्राप्त है।