Unsung Heroes | History Corner | Azadi Ka Amrit Mahotsav, Ministry of Culture, Government of India

Unsung Heroes Detail

Paying tribute to India’s freedom fighters

शेख रजब अली

Azamgarh, Uttar Pradesh

September 12, 2022 to September 12, 2023

आज़मगढ़ जनपद में सामान्य जन के विद्रोह का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नायकों में शेख रजब अली का नाम सर्वाेपरि है। वह मुहम्मदाबाद तहसील के मौजा बम्हौर (ठनउइीवनत) के रहने वाले थे। उन्होंने आज़मगढ़ शहर से कुछ मील की दूरी पर स्थित मौज़ा मोहब्बतपुर, सखिया, परकौली, मेघई, नैनीज़ोर, रुदरी, लछिरामपुर सहित कुछ अन्य मौज़ों में अँग्रेज़ी शासन के विरुद्ध एक संगठन बना रखा था। मिस्टर बेनीबुल्स ने आजमगढ़ शहर पर अधिकार करने के बाद शान्ति-व्यवस्था को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से 30 जून, 1857 को मोहब्बतपुर पर आक्रमण किया और बहुत से विद्रोहियों को पकड़कर उन्हें कोतवाली में लाकर बन्द कर दिया। इनमें बहुत से लोग शेख रजब अली के अनुयायी थे। अतएव, शेख रज़ब अली ने अपने साहस का परिचय देते हुए लगभग चार सौ लोगों को इकट्ठा करके 23 जुलाई को दिनदहाड़े आज़मगढ़ शहर की कोतवाली पर आक्रमण करके सभी बन्दियों को छुड़ा लिया। इनमें मौज़ा मोहब्बतपुर के जमींदार, जगबन्धन सिंह, अरैया के ज़मींदार राम प्रसाद राय, खंडया सिंह, मैरी सिंह, अजायब लाल, धन्नू पाठक मौजा सुनरा के जमींदार गुलाब सिंह, संग्राम सिंह, मौज़ा सिउली के ज़मींदार सोहन सिंह और बैजनाथ सिंह नामक जमींदार प्रमुख थे। मिस्टर बेनीबुल्स उन्हें फिर से पकड़ने में असफल रहा। अंग्रेज़ी सरकार ने उनकी गिरफ्तारी पर सौ रुपये का इनाम घोशित किया। मिस्टर बेनीबुल्स को 29 दिसम्बर, 1857 को शेख रजब अली के मौज़ा ममरुआपुर में होने की सूचना मिली। उन्होंने अपने सशस्त्र घुड़सवारों के साथ उन्हें पकड़ने के लिए गांव को घेर लिया। किन्तु शेख रजब अली, अँग्रेज़ी टुकड़ी का घेरा तोड़ते हुए वहाँ से टोंस नदी की ओर भाग निकले। अँग्रेज़ सैनिकों ने उनका पीछा किया और उन्हें जीवित पकड़ना चाहा। बचने का कोई उपाय न देखकर वह टोंस नदी में कूद पड़े और डूबते-उतराते हुए तैर कर हाजीपुर घाट तक पहुँच गये। वहाँ से उन्होंने नदी से बाहर निकलकर भागना चाहा, किन्तु अंग्रेजी सैनिकों के गोली के शिकार होकर वीरगति को प्राप्त हुए। उनके मकान को अँग्रेजों ने जला दिया और उनकी सारी सम्पत्ति जब्त कर ली।

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