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Unsung Heroes Detail

Paying tribute to India’s freedom fighters

मधुमंगल सावर्णी

Durg, Chhattisgarh

March 15, 2023 to March 15, 2024

मधुमंगल सावर्णी जी का जन्म 2 जनवरी, 1910 को पाटन, दुर्ग जिले में हुआ था। उनके पिता पंडित जिवधन प्रसाद सावर्णी थे जो अत्यंत विद्वान व्यक्ति थे। उन्हें पुस्तकें और राष्ट्रीय समाचार-पत्र पढ़ने की आदत थी, अतः घर में अनेक समाचार पत्र आते थे जैसे विश्वमित्र वेंकटेश्वर, हिंदू मंच एवं कर्मवीर आदि पाटन जैसे ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे समाचार आना एक महत्वपूर्ण बात थी। इन समाचार पत्रों के कारण सावर्णी जी को बचपन से ही देशप्रेम की  शिक्षा प्राप्त हुई थी।

सातवीं तक की पढ़ाई किये मधुमंगल सावर्णी जी को संस्कृत, उर्दू, गुरूमुखी, बंगला आदि भाषाओं का ज्ञान था, इससे वे आंदोलन एवं राष्ट्रीय घटनाचक्र की जानकारी रखते थे। 18 वर्ष की आयु से ही आंदोलन में भाग लेने लगे थे। सन् 1929 को कांग्रेस की वार्षिक अधिवेशन में भाग लेने कलकŸाा गए थे। सावर्णी जी का सम्पर्क दुर्ग के कई राष्ट्रवादी नेताओं से था इस कारण उन्हें सभी कार्यक्रमों की जानकारी होती थी । दुर्ग के राष्ट्रवादी साहित्यकार उदयराम जी को वे अपना प्रेरणा स्त्रोत मानते थे।

सावर्णी जी के राष्ट्रवादी कार्यक्रमों में जाने की जानकारी स्थानीय पुलिस को थी अतः कलकŸाा अधिवेशन से लौटने के पष्चात् उन्हें दण्ड स्वरूप 20 बेत एवं 15 दिनों का जेल जाना पड़ा था, किंतु इससे उनमें और अधिक दृढ़ता आई तथा खुलकर आंदोलनों में भाग लेने लगे। सविनय अवज्ञा आंदोलन में राष्ट्रीय सप्ताह के दौरान आंदोलन करते हुए गिरफ्तार हो गए थे। सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय 10 अगस्त 1942 को निकट के एक गांव में भूमिगत हो गए थे । यहां रहकर आंदोलन के प्रचार के लिए प्रयत्न कर रहे थे । दूसरे ग्राम मर्रा में जहां ग्रामीणों की सभा लेते हुए अपने 8 साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें कुल 1 वर्ष 9 माह की जेल हुई थी। वे पाटन क्षेत्र के बड़े राष्ट्रवादी नेता ।

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