पद्माकर प्रसाद त्रिपाठी का जन्म छुईखदान रियासत में 10 फरवरी, 1925 को हुआ था। उनके पिता का नाम पं. रामरतन त्रिपाठी था। प्रारंभिक शिक्षा रियासत में करने के पश्चात् पिता ने पद्माकर जी को संस्कृत का अध्ययन कराने के लिए सन् 1937 में रायपुर नयापारा स्थित संस्कृत पाठशाला में प्रवेश दिलवाया था।पाठशाला के आचार्य पंडित विश्वनाथ पांडे एक राष्ट्रभक्त विद्वान थे। ऐसे स्थान में रहने के कारण पद्माकर जी में राष्ट्रीय चेतना का प्रवाह होने लगा था।
पद्माकर जी ने भारत छोड़ो आंदोलन में कुछ युवकों के साथ भूमिगत गतिविधियों से जुड़ गये थे। वह भी राजेंद्र चौबे, जय नारायण पांडे और विश्वनाथ तिवारी आदि के साथ क्रांतिकारी पर्चों का प्रसारण एवं सरकार विरोधी जन जागरण कार्यों में संलग्न रहे।
इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चर्चिल के भारत विरोधी बयान के कारण नव युवकों के साथ पद्माकर प्रसाद ने उनका पुतला दहन किया, उसी समय पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया पद्माकर जी को 5 माह के कारावास की सजा हुई। उनका देहावसान 26 जून, 2001 में हो गया।
पद्माकर प्रसाद त्रिपाठी