पुनमचंद सांखला का जन्म 15 अप्रैल, 1906 को छुईखदान रियासत के ग्राम संडी में हुआ था । उनके पिता का नाम श्री छगनलाल सांखला एवं माता का नाम श्रीमती पार्वती बाई था। नवंबर 1933 में गांधी के दुर्ग आने तथा अछूतोंउद्धार कार्यक्रम चलाने से प्रभावित होकर उन्होंने अपने घर का कुआं सभी वर्ग के लिए खोल दिया था। पुनमचंद जी एक प्रमुख सत्याग्रही थे। 14 जनवरी, 1939 को रियासत की पुलिस ने झिलमिली के जंगल में सत्याग्रह करने के आरोप में उन्हें अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था।
अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ होने के साथ उन्हांेने अपनी रियासत की जनता में आंदोलन के प्रसार के लिए सभा लेकर कांग्रेस सरकार की नीतियों की आलोचना की तथा कांग्रेस के भारत छोड़ो प्रस्ताव की प्रतिनिधि बनाकर लोगों में शासन विरोधी पर्चों का वितरण किया। इस जुर्म के लिए उन्हें 1 सितंबर, 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया तथा 3 वर्ष कारावास की सजा दी गई। वे 10 मई, 1944 को जेल से रिहा हुए। उनका देहावसान 25 मई, 1981 को हो गया।