Unsung Heroes | History Corner | Azadi Ka Amrit Mahotsav, Ministry of Culture, Government of India

Unsung Heroes Detail

Paying tribute to India’s freedom fighters

यादोराव

Bastar, Chhattisgarh

March 15, 2023 to March 15, 2024

सन् 1856 के लिंगागिरी के माड़िया नेता धुर्वाराव के विद्रोह के समय भोपालपटनम् के जमींदार ने ब्रिटिश सेना का साथ दिया था, जबकि उसके पुत्र यादोराव ब्रिटिश शासन के विरुद्ध थे। वे अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने वाले धुर्वाराव के मित्र थे और उनके साथ मिलकर अंग्रेजों को अपने क्षेत्र से खदेड़ देना चाहते थे।

        धुर्वाराव को फांसी हो जाने के पश्चात् लिंगागिरी तालुका भोपालपटनम् को प्रदान कर दिया गया था। यह स्थिति यादोराव के लिए उत्तम थी, क्योंकि धुर्वाराव के द्वारा प्रशिक्षित योद्वाओं का उसे साथ मिल गया। वह गुप्त रूप से अंग्रेजों के विरूद्व तेलंगा एवं दोर्ला आदिवासियों को संगठित करने लगा। आदिवासी प्रजा ब्रिटिश शासन के आर्थिक नीतियों से त्रस्त थे।

        यादोराव ने आदिवासी समूहों को संगठित कर अंग्रेजों के विरूद्व छापामार युद्ध प्रणाली अपनायी क्योंकि आसपास के बहुत से जमींदार अंग्रेजों का साथ दे रहे थे।  उन्होंने 2000 आदिवासियों की सेना खड़ी कर ली थी जिसमें अधिकांश दोर्ला जनजाति के थे। मोमनपल्ली के जमींदार बाबूराव भी इनका साथ दे रहे थे। इसके प्रकार तीनों नेताओं ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध खुलकर विद्रोह की घोषणा कर दी थी। किंतु यादोराव के पिता ने ही अपने पुत्र को पकड़वाकर, उनके आदेश पर सन् 1860 में उन्हें फांसी की सजा दे दी गयी।

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