ताराचंद साहू का जन्म मगरलोड के भेंडरी ग्राम में सन् 1904 में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री रामदयाल साहू था । ताराचंद राजिम के पंडित सुंदरलाल शर्मा रायपुर के महंत लक्ष्मीनारायण के संपर्क में थे। पंडित सुंदरलाल शर्मा जी के साथ मिलकर उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया था तथा अखिल भारतीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेते रहते थे। इसके कारण वे रायपुर जिले के एक प्रमुख कांग्रेसी नेता हो गए और उन्हें रायपुर डिस्ट्रिक्ट कौंसिल के सदस्य बनाए गए थे। ताराचंद सन् 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय खादी का प्रसार करने में योगदान दिया तथा रायपुर शहर आकर आंदोलन के कार्यक्रमों में संलग्न हुए, इसके कारण उनकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई तथा सन् 1935-36 में रायपुर के डिस्ट्रिक्ट कौंसिल में उन्हें अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में सदस्य बनाया गया था।
सन् 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय उन्होंने सत्याग्रहियों कोे सहयोग कर उनके लिए ग्राम में रूकने एवं सभा करने की व्यवस्था की थी। इसके पश्चात् भारत छोड़ो आंदोलन में ब्रिटिश शासन के विरोध में भाषण देने के कारण वे गिरफ्तार कर लिए गए तथा 6 माह का कारावास हुआ था। उनका देहावसान 28 मई, 1976 को हो गया।