जयपुर आज़ादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में नेट थिएटर कार्यक्रमों की श्रंखला में परंपरा नाट्य समिति द्वारा शंकर शेष लिखित और दिलीप भट्ट द्वारा निर्देशित नाटक कोमल गांधार का सशक्त मंचन किया गया । नेट थिएट के राजेंद्रजें शर्मा राजू ने बताया कि नाटक में कोमल चौहान ने गांधारी की भूमिका में अपने पात्र को इतना बखूबी निभाया कि दर्शक अपने आंसू रोक न सके। कथासार संजय दूसरी राज कन्याओं की तरह मेरा भी एक गहन सपना था कि मेरा पति बिजली की तरह मचलते हुए सफेद अश्क पर आएगा अपनी भुजाओं से झुका देगा आकाश को, लेकिन ऐसा कुछ नहीं मैं खुद ही किले की बंदी हूं मेरा कोमल गांधार खो गया है गांधारी ने नारी होते हुए कितनी पीड़ा उठाई जब उसे न्या य नहीं दिखा तो उसने अपनी आंख पर पट्टी बांधनी जीवन भर के लिए नारी चाहे तो पर्वत भी जा सकती है अगर वह अपनी खुद्दारी पर आ जाए नाटक में धृतराष्ट्र गौरव खंडेलवाल, भीष्म जफर खान, दुर्योधन अभिषेक झांकल,संजय प्रशांत माथुर, शकुनी मनोज स्वामी और दासी देवांशी शर्मा ने अपने पात्रों को बखूबी निभाया और अपने मार्मिक अभि नय से नाटकके पात्रो को जीवंत किया । कार्यक्रम का संचालन आर डी अग्रवाल ने किया।