आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत कला एवं संस्कृति विभाग राजस्थान संस्कृत अकादमी राजस्थान सिंधी अकादमी राजस्थान ललित कला अकादमी तथा करुणा सामाजिक संस्था के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित प्रीडीएसी संस्कार संस्कृति शिविर का आयोजन किया गया।
जस्टिस जी. के.व्यास जी ने राष्ट्र,परिवार , समाज: दायित्व बोध विषयक व्याख्यान में जीवन में दायित्व प्रतिबद्धता के महत्त्व को समझाते हुए विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से अत्यंत रोचक रूप में प्रस्तुत किया। व्यास जी ने बताया कि मनुष्य को जीवन में आत्म निरीक्षण पद्धति का प्रयोग करते हुए अपने व्यक्तित्व को उत्कृष्टता देनी चहिए क्योंकि मनुष्य स्वयं ही अपना सबसे बड़ा आलोचक होता है। मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति उसका दायित्व बोध,परिश्रम,अनुशासन और जीवन के प्रत्येक कर्तव्य के प्रति निष्ठा का भाव ही है। जीवन – श्रम = शून्य और जीवन – अनुशासन = शून्य इन दो सिद्धांतो को याद रखते हुए मनुष्य जीवन में श्रेष्ठता को प्राप्त करने में समर्थ होता है।