आजादी का अमृत महोत्सव के तहत राजकीय महाविद्यालय बिरोहड़ के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग एवं हरियाणा इतिहास कांग्रेस के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. रणवीर सिंह आर्य की अध्यक्षता में कार्यक्रम हुआ।
महान स्वतंत्रता सेनानी लाल बहादुर शास्त्री की 118 वीं जयंती के अवसर पर पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर डॉ. अमरदीप, पवन कुमार, जितेंद्र और दीपक द्वारा त्रिवेणी लगाई गई। कार्यक्रम के संयोजक एवं इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अमरदीप ने इस अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान का स्मरण करवाया। उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री का जीवन राष्ट्रीय जीवटता और कर्मठता का प्रतीक है। राष्ट्र उनके लिए सर्वोपरि था और उनका जीवन राष्ट्र कल्याण में ही समर्पित था जय जवान और जय किसान का नारा देकर उन्होंने एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी थी। 2 अक्तूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री ने विषम परिस्थितियों में मिर्जापुर से प्राथमिक शिक्षा हासिल की। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की परीक्षा पास करने पर उन्हें शास्त्री की उपाधि दी गई। 1920 में महात्मा गांधी द्वारा संचालित असहयोग आंदोलन में पढ़ाई छोड़कर आजादी के संघर्ष में कूद पड़े।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान उन्होंने कर रोको आंदोलन चलाया और जनता को टैक्स का भुगतान न करने के लिए आंदोलित किया भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 1942 में लाल बहादुर शास्त्री ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए करो या मरो के नारे को परिवर्तित करते हुए मरो नहीं, मारो का नारा दिया। जिससे जनता में उत्साह भरा और उन्होंने आजाद भारत को संकल्पना को मूर्त रूप देने का जोरदार प्रयास किया। इसके पश्चात उन्हें 1 साल का कारावास भुगतना पड़ा।