आज़ादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत हिंदी दिवस के अवसर कला एवं संस्कृति विभाग और भाषा अकादमियों के संयुक्त तत्वावधान में श्रुति लेख और सुलेख प्रतियोगिताएं आयोजित की गई । जिसमें विभाग के अधीनस्थ अधिकारियों- कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । श्रुति लेख प्रतियोगिता में राजकुमार जैन, शिवप्रसाद पंत और दीपक नरानिया ने तथा सुलेख प्रतियोगिता में रवीना मीणा, संगीता विश्नोई और बजरंग लाल ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी को विभाग द्वारा प्रमाण पत्र और पुरस्कार प्रदान किए ।
प्रतियोगिताओं के साथ आयोजित हुआ हिंदी विमर्श भी
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर ने कहा कि हिंदी के पारिभाषिक शब्दकोश के लिए संयुक्त प्रयास करने होंगे । विशेष रुप से तकनीकी शब्दों को रूपांतरित कर पृथक से शब्दकोश तैयार कराया जाना आज की प्राथमिक आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उर्दू अकादमी के अध्यक्ष डॉ. हुसैन रजा खान ने कहा कि उर्दू भी एक हिंदी शब्द है, चूंकि उर्दू में हिंदी का 'उर' निहित है ,जबकि अंग्रेजी अरबी- फारसी शब्द है। यह बड़ा ही अद्भुत और अनूठा संयोग है । कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन करते हुए विभाग के संयुक्त शासन सचिव पंकज ओझा ने कहा कि हिंदी की वैश्विक मान्यता के अंतर्गत हार्वर्ड, कोलंबिया ,येल कार्नेल, टेक्सस्, शिकागो सहित 200 विश्व विद्यालयों में हिंदी पढ़ी-पढ़ाई जा रही है। हिंदी गीतों को विश्व में रुचि के साथ सुना जा रहा है । कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजनारायण शर्मा ने कहा कि हिंदी को ज्यादा से ज्यादा दैनिक एवं राजकाज के व्यवहार के लिए अपनाया जाना चाहिए। साथ ही अन्य भाषाओं के जन प्रचलित शब्दों को हिंदी में रूपांतरित कर उन्हें मान्यता प्रदान करनी चाहिए । हिंदी भाषा हमारी थाती और संस्कारों को जोड़े रखती है।