श्रीमती रोहणी परगनिहा का जन्म सन् 1919 में ग्राम तर्रा, जिला रायपुर के मालगुजार परिवार में हुआ था। सन् 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय खादी प्रचार, प्रभात फेरी के साथ साथ मालवीय रोड में कीका भाई की दुकान में महिलाओं ने पिकेटिंग किया था बहुत सी महिलाएं दुकान के सामने धरना देकर बैठी हुई थी तथा वे विदेशी वस्त्रों के विरुद्व नारे लगा रही थी। महिलाओं के इस जत्थे में 12 वर्षीय रोहणी बाई भी थी। इस समय तक उनका विवाह हो चुका था। उनके पति पिकेटिंग करते हुये सन् 1932 को राधा बाई के साथ गिरफ्तार कर लिये गये थे। इस समय उनकी आयु 13 वर्ष से भी कम थी। उन्हें विदेशी वस्त्रों को जलाने के जुर्म में 4 माह का कारावास एवं 200 रुपये जुर्माना लगाया गया था। जुर्माना नहीं पटाने पर घर के समानों को कुर्की कर दी गयी। क्योंकि उन्होंने अपने माता-पिता का नाम जज को महात्मा गांधी बताया था।
सन् 1933 में गांधी जी के छत्तीसगढ़ प्रवास के समय उनके साथ यात्रा की थी। सन् 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के समय सात महिला कार्यकर्ताओं के साथ महात्मा गांधी की जय, अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगाते हुये मुख्य मार्गों में जुलूस निकाला और खादी का प्रचार किया। सभी सात सदस्यों को गिरफ्तार कर 6 माह का कारावास दिया गया। उन्होंने कुर्रा-बंगोली के जेल में यह सजा काटी थी। जेल की अव्यवस्था देखकर उसे सुधारने के लिये उन्होंने 18 दिन भुख हड़ताल भी की थी।
References:
- केयूर भूषण साक्षात्कार, रायपुर 10 जून 2012
- हर्षुल मिश्र का संस्मरण
- मध्यप्रदेश स्वतंत्रता संग्राम सैनिक खण्ड-3, भाषा संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश, भोपाल, 1984