सांस्कृतिक गौरव
भारत कई संस्कृतियों का देश है, यह दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है, जो 4,000 साल से भी अधिक पुरानी है। इस कालावधि के दौरान कई रीति-रिवाज और परंपराएं साथ-साथ उभरकर आईं, जो इस देश की समृद्ध संस्कृति और विरासत को दर्शाती हैं।
एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत होने से लेकर कुछ स्वादिष्ट व्यंजनों के प्रवर्तक होने तक,यह देश किसी सीमा से बाधित नहीं है। यह कहना उचित होगा कि इस देश के लोगों को अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व है और वे लगातार अपनी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
लोकप्रिय हिंदी सूक्ति 'कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी' भारत की भाषाई विविधता को परिभाषित करती है। भारत जैसी बहु-जातीय भूमि में, एक साझा भाषा हमारी एकजुटता की सूत्रधार एवं हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा के दौरान कोई भी हमारी भव्य विरासत स्मारकों के दर्शन कर सकता है। लोग गर्व से अपनी संस्कृति, पारंपरिक व्यंजन, बोली और पोशाक को अपना रहे हैं।