11 नवम्बर 1894 में बीकानेर (राजस्थान) में यतियतन लाल जन्म हुआ और बचपन में ही एक जैन संत उन्हें लेकर रायपुर आ गए जहाँ उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। राष्ट्रप्रेम और मानवता की सेवा के लिए ही वे राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े और सन 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और जिला कांग्रेस सम्मलेन में भाग लिया। अगले ही वर्ष सन् 1922 में वे रायपुर जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष और 1924 -25 में अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
सन् 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान कांग्रेस के सिद्धांतों के प्रचार के लिए यतियतन लाल के संयोजन में एक प्रचार मंडल गठित किया गया जिसमे ठाकुर प्यारेलाल , शंकर राव गनोदवाले ,मौलाना रउफ आदि के साथ उन पर भी प्रचार का दायित्व सौंपा गया। उसी दौरान 23 अप्रैल 1930 को उन्होंने मद्य पान के खिलाफ प्रचार करते हुए शराब की दुकानों में धरना दिया। 9 सितम्बर 1930 में महासमुंद तहसील के तमोरा जंगल सत्याग्रह का नेतृत्व किया और शंकर राव गनोदवाले के साथ गिरफ्तार हुए और 3 माह की सजा हुई। सन 1932 में रायपुर में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान कीका भाई की दूकान के सामने धरना प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार हुए। सन 1942 में पुनः उन्हें 10 मई को गिरफ्तार कर बुलढाणा जेल भेज दिया गया जब वे अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के बम्बई अधिवेशन में भाग लेने जा रहे थे। उन्हें मलकापुर स्टेशन से गिरफ्तार किया गया। 16 अगस्त को उन्हें नागपुर जेल भेज दिया गया जहाँ वे 3 वर्ष 15 दिन रहे।
यतियतन लाल ने हरिजन उद्धार के लिए विशेष कार्य किये और 1924 में पंडित सुंदरलाल शर्मा द्वारा स्थापित सतनामी आश्रम की कार्यसमिति के सदस्य रहे। उन्होंने पशु पक्षियों की बलि, मृतक भोज, बाल विवाह, बेमेल विवाह के विरुद्ध और गौ रक्षा तथा धर्म और संस्कृति की रक्षा हेतु अभियान चलाया। 4 अगस्त 1976 को उनकी लम्बी बीमारी के पश्चात महासमुंद स्थित आश्रम में उनकी मृत्यु हो गयी।