Unsung Heroes | History Corner | Azadi Ka Amrit Mahotsav, Ministry of Culture, Government of India

Unsung Heroes Detail

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गजानन शर्मा

Madhubani, Bihar

March 17, 2023 to March 17, 2024

इनका जन्म 1905 ई. में मधुबनी जिला के भच्छी गाँव में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता गुणवन्त लाल दास मैथिली एवं संस्कृत साहित्य के विद्वान थे। वे अत्यंत सीधे-साधे व्यक्ति थे लेकिन उन पर पिता एवं भाई का जबरदस्त असर था। इन्होंने अपनी पढ़ाई किसी विद्यालय से शुरू नहीं की। उनके अग्रज चतुरानन दास और उनके मित्र शीतिकंठ झा ने मिलकर असहयोग आंदोलन के दौरान मधुबनी में गाँधी विद्यालय की स्थापना की थी। इसी विद्यालय में उनका नामांकन हुआ। इसी विद्यालय में उन्होंने देश में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन एवं महात्मा गाँधी के विषय में काफी कुछ जाना। 1930 ई. में कांग्रेस सेवा दल का गठन हुआ। गजानन दास उसके सक्रिय सदस्य बन गये। सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हो चुका था। नमक सत्याग्रह के दौरान विहार प्रान्तीय कांग्रेस कमिटी के प्रधान कार्यालय को प्रशासन के द्वारा जब्त कर लिया गया और लगभग सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। रामदयालु सिंह इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि गजानन दास किसी भी काम को पूरी गंभीरता एवं पूरी ईमानदारी से करते हैं। ब्रज किशोर प्रसाद और अनुग्रह नारायण सिन्हा ने भी गजानन दास के कार्यों को काफी सराहा। 1934 ई. में बिहार को भयंकर भूकम्प झेलना पड़ा। इस त्रासदी में बड़ी संख्या में जान-माल की क्षति हुई। प्रभावित लोगों को तत्काल सहायता पहुँचाने हेतु महात्मा गाँधी के नेतृत्व में एक केन्द्रीय कमिटी का गठन हुआ। राजेन्द्र प्रसाद इस कमिटी के सचिव बनाए गये। ब्रज किशोर प्रसाद के अनुरोध पर उन्होंने गजानन दास को प्रान्तीय कांग्रेस कमिटी की ओर से पीड़ितों की सहायता के लिए दरभंगा भेजा। गजानन दास अविलंब पटना के कार्यों को छोड़कर दरभंगा गये और उनके नेतृत्व में दरभंगा जिले में रिलीफ कार्य ने जोर पकड़ा। गजानन दास ने दरभंगा जिला की कमिटी का ब्यौरा तैयार कर ब्रजकिशोर प्रसाद एवं सत्यनारायण सिन्हा को सौंपा, अच्छा काम नहीं होने के कारण कुमारप्या ने नाराजगी जताई लेकिन जब वे प्रभावित जिलों का दौड़ा करने निकले तो दरभंगा जिले में रीलिफ का काम देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गये। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन ने बिहार में काफी जोर पकड़ा। प्रशासन को यह विश्वास था कि खादी भण्डार ही आंदोलन का केन्द्र स्थल था। आंदोलन शुरू होते ही लक्ष्मी नारायण, ध्वजा प्रसाद साहु, रावदेव ठाकुर एवं गोपाल जी झा शास्त्री को गिरफ्तार कर लिया गया। ऐसा लगने लगा कि बिहार खादी ग्रामोद्योग आंदोलन एकाएक समाप्त हो जाएगा। इसी समय आंदोलन का नेतृत्व गजानन दास के कंधे पर आया। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी होने पर ध्यान दिए बगैर खादी के तैयार कपड़ों को बर्बाद होने से बचाया। भारत छोड़ो आंदोलन के संचालन समिति ने मधुबनी कोर्ट पर तिरंगा झंडा फहराने की योजना बनाई। समिति ने निर्णय लिया कि झंडा फहराने वाले जूलुस का नेतृत्व गजानन दास करेंगे। लेकिन जूलुस समय से पूर्व ही निकल गया। पुलिस ने निहत्थे भीड़ पर गोली चलाई। बहुत से लोग मारे गये और अनेक घायल हुए। बिहार में चरखा संघ के स्थान पर चरखा समिति का गठन हुआ। महात्मा गाँधी ने स्वंय गजानन दास को चरखा समिति का ट्रस्टी और कोषाध्यक्ष बनाया। गजानन दास की मृत्यु 14 नवम्बर, 1984 ई. को उनके अपने पैतृक गाँव भच्छी में प्रातः काल हो गयी।

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