इनका जन्म 6 फरवरी, 1899 को पटना में हुआ था। इनके पिता का नाम रामदीन सिंह था। चैदह वर्ष की उम्र में उन्होंने 1913 ई. में राम मोहन राय सेमिनरी स्कूल में एंट्रेन्स की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1920 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के छात्र जीवन में ‘‘बिहारी एसोसियेशन’’ ने उन्हें राजनीति की ओर प्रेरित किया। उस समय के राजनीतिक वातावरण से वे पूर्णतः प्रभावित हुए और गाँधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हो गये। उसी वर्ष वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से भी जुड़ गये। वे ‘‘बिहारी ऐसोसियेशन’’ के प्रधान मंत्री भी चुने गये। 1930 में नमक सत्याग्रह प्रारंभ हुआ। उन्होंने इस सत्याग्रह को कांग्रेस कार्यालय से दिशा निर्देशित करना प्रारंभ किया। प्रशासन का ध्यान सदैव कांग्रेस कार्य पर लगी रहती थी। 1932 में रामदयालु सिंह के गिरफ्तारी के बाद बिहार कांग्रेस के दिशा निर्देश का कमान उनके कंधों पर सौंप दिया गया। उसी वर्ष गया में ‘‘बिहार प्रान्तीय राजनीति सम्मेलन होना निश्चित हुआ। उस सम्मेलन के लिए उन्हें सभापति बनाया गया। सभा प्रारंभ होने के पूर्व ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें 18 महीने तक जेल की सजा भुगतनी पड़ी। 1937 ई. में बिहार में कांग्रेस की पहली सरकार बनी। उन्हें शिक्षा, विकास और राजस्व विभाग का संसदीय सचिव बनाया गया। 1937 से 1941 तक वे बिहार विधान सभा के सदस्य थे। उनका देहान्त पटना में 30 जून, 1985 को हो गया।