भारत सरकारGOVERNMENT OF INDIA
संस्कृति मंत्रालयMINISTRY OF CULTURE
Muzaffarpur, Bihar
March 17, 2023 to March 17, 2024
ध्वजा प्रसाद साहु का जन्म 19 जुलाई, 1893 ई. को मुजफ्फरपुर जिले के औरोई प्रखण्ड के राम खेतारी गाँव में, अत्यन्त निर्धन परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जुगल साहु था। 1914 ई. में उनका नामांकन ग्रियर भूमिहार कॉलेज (एल. एस. कॉलेज) मुजफ्फरपुर में हुआ। यहाँ अनुशीलन समिति (गरमदल) का गठन उन्होंने किया। जे. बी. कृपलानी यहाँ प्राध्यापक थे। उन्हीं के दिशा निर्देशन में वे कार्य करते थे। वे क्रांतिकारी कार्यों के लिए बहुत सारे सामान एकत्र कर लिए थे। पुलिस को भनक लग गई और सारा सामान पकड़ा गया। ध्वजा प्रसाद साहु को चम्पारण जाकर गांधी को सहायता प्रदान करने के लिए कृपलानी से निर्देश मिला। उन्होंने चम्पारण जाकर तन्मयता से काम किया और गांधी जी के प्रिय पात्र बन गये। चम्पारण से लौट कर ध्वजा प्रसाद साहु मुजफ्फरपुर आ गये। पुलिस उन्हें खोज रही थी। वे भागकर भागलपुर पहुँचे एवं माड़वारी विद्यालय में 25 रूपये महीना पर काम करना शुरू कर दिए। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण प्रशासन की नजर उन पर बराबर बनी हुई। थी। 1921 ई. में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया एवं कठोर यातना दी गई। जेल से निकलकर कृपलानी के निवेदन पर वे 1923 ई. में मेरठ में गांधी कुटीर की देख भाल करने पहुँच गये। 1925 ई. में उन्होंने अखिल भारतीय चरखा संघ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1930 ई. में मुजफ्फरपुर में ‘‘सत्याग्रही नमक’’ बनाकर उन्होंने घर-घर जाकर बेचा।1942 ई. भारत छोड़ो आन्दोलन के समय बड़ा भयंकर उपद्रव हुआ। उस समय ध्वजा प्रसाद साहु को गिरफ्तार करके पटना कैम्प जेल में रखा गया। दो वर्ष तक वे जेल में रहे। जेल में कैदियों के अच्छे भोजन के लिए उन्होंने सत्याग्रह किया । जेल से निकलकर खादी आन्दोलन को तीव्र गति से चलाने में वे संलग्न हो गये। उनका देहावसान 8 फरवरी, 1987 ई. को मुजफ्फरपुर में हो गया।