भारत सरकारGOVERNMENT OF INDIA
संस्कृति मंत्रालयMINISTRY OF CULTURE
Bastar, Chhattisgarh
March 15, 2023 to March 15, 2024
इंदरू केंवट कांकेर रियासत के अंतर्गत आने वाले वर्तमान में भानुप्रतापपुर स्थित सुरंगदाह ग्राम दुर्गु कोंदल विकासखंड का निवासी था। ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाने के लिए पहले तो वह परंपरागत हिंसात्मक साधन अपना रहा था, किंतु सन् 1920 में वह पैदल अपने साथियों के साथ धमतरी और 1933 में दुर्ग जाकर गांधी जी से मिला और उसके बाद उसने अपनी रियासत में गांधीवादी आंदोलन प्रांरभ किया। उसके साथ मंगलूराम हल्बा कुम्हार और पातर हल्बा के कारण सुरंगदाह दौर भेजलपानी स्वाधीनता आंदोलन के कांकेर रियासत के मुख्य केंद्र बन गये थे। पोटाई बाड़ा को इंदरू केवट राजनीतिक जागरण का केंद्र बनाया था।
रियासत के ब्रिटिश अधीक्षक ने इन्हें पकड़ने पुलिस दस्ता भेजा पर ये अपने पूरे शरीर पर चिकना तेल मलते थे जिससे पकड़ाई में नहीं आए। ग्राम कोड़े कुरसे केे बाजार में घिर जाने पर समीप बहने वाली कोटरी नदी में कूद गए और को तेज धार में बहकर दूसरी छोर पर पहुंच गए। नदी गहरी होने के कारण पुलिस के सिपाही नदी में नहीं कूद सकें। इंदरू केंवट कभी भी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सके। उनके मुत्यु के बाद उनके सामान में तिरंगा झंण्डा और कूछ कागजात मिले। उन्हें गांधी जी पर अटूट निष्ठा थी और वे एक महान् देशभक्त थे।