राजनाथ भगत का जन्म सरगुजा रियासत के कुसमी जमींदारी के कोढ़वा नामक ग्राम में 27 अप्रैल, 1924 में हुआ था। सरगुजा के कुछ जमींदारियों में बेगार विरोधी आंदोलन होने से राजनीतिक जागृति दिखाई पड़ती है। राजनाथ जी भी बेगार विरोधी आंदोलन से प्रेरणा पाकर राजनीति में सक्रिय थे ।
सरगुजा क्षेत्र में सन् 1932 तक सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण कुछ स्थानों में जंगल सत्याग्रह का आह्वान किया गया था किंतु इन परिस्थितियों को रियासती पुलिस ने संभाल लिया था। अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रभाव रियासत में विशेष रुप से दिखाई पड़ता है। राजनाथ भगत जी अपने अध्ययन काल में ही राष्ट्रवादी विचारधारा के युवकों के संपर्क में आने के कारण राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत थे। उन्होंने ने राष्ट्रभक्ति पूर्ण पर्चों का प्रसार किया था तथा भूमिगत रूप से कार्य करते हुए राष्ट्रीय विचारधारा का प्रचार करते रहे थे। सरगुजा रियासत की पुलिस के द्वारा कार्यवाही नहीं करने के कारण वे लंबे समय तक राष्ट्रीय आन्दोलन की गतिविधियों से जुड़े रहे।