Unsung Heroes | History Corner | Azadi Ka Amrit Mahotsav, Ministry of Culture, Government of India

Unsung Heroes Detail

Paying tribute to India’s freedom fighters

अमृतलाल महोबिया

Chhattisgarh

March 15, 2023 to March 15, 2024

अमृतलाल महोबिया का जन्म 4 फरवरी, 1918 को छुईखदान रियासत में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री बुधराम महोबिया था। 20 वर्ष की आयु में अमृतलाल जी छुईखदान रियासत में स्थापित होने वाली स्टेट कांग्रेस कमेटी के कार्यकारिणी सदस्य बना लिए गए थे। सन् 1938 से ही रियासत की राजनीति में सक्रिय हो गए थे। जनवरी 1939 में खैरा नर्मदा सत्याग्रह तथा लगान बंदी आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था और जेल गये। उनके छोटे भाई समारू राम महोबिया एवं अन्य साथियों को छह माह की सजा एवं 100 रूपये अर्थदंड दिया गया था।

अमृतलाल जी के कार्यकुशलता को देखते हुए, सन् 1941 में उन्हें छुईखदान स्टेट कांग्रेस कमेटी का उपाध्यक्ष बनाये गये। इस समय रियासत के प्रशासन ने स्टेट कांग्रेस की गतिविधियों में कठोर अंकुश लगा रखा था। अगस्त 1942 में दुर्ग शहर में भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ हो गया था। सभी बड़े नेताओं की गिरफ्तारी बहुत जल्दी हो गई थी। दुर्ग के नेता बंबई में (मुंबई) हुए अधिवेशन के भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव की साइक्लोस्टाइल प्रति बांट रहे थे, छुईखदान में भी साइक्लोस्टाइल मशीन उपलब्ध थी। अतः उससे प्रस्ताव की अनेक कॉपी करके बांटा जा रहा था। अमृतलाल जी भी प्रस्ताव की कॉपी वितरित करने एवं ब्रिटिश ष्शासन विरूद्व प्रचार करने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिए गए तथा 1 वर्ष का जेल एवं 25 रूपये का अर्थदंड दिया गया। 10 मई, 1944 को कारावास से मुक्त हुए। इसके पश्चात् महोबिया जी ने स्टेट कांग्रेस की ओर से रियासत में उदार शासन की स्थापना की मांग प्रारंभ कर दी।

अमृतलाल जी छत्तीसगढ़ के पूर्वी राज्यों के विलीनीकरण एक्शन कमेटी के सदस्य चुने गए थे। सन् 1947 में सरदार पटेल के उड़ीसा से कटक में आने पर छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में मुलाकात कर छुईखदान का प्रतिनिधित्व किया था। उनका देहावसान 26 जुलाई, 1998 को हो गया।

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