अयोध्या प्रसाद कश्यप दुर्ग जिले के पाटन जमींदारी के अखरा ग्राम के निवासी थे। उनका जन्म 12 अगस्त, 1912 को हुआ था। उनके पिता का नाम श्री रामचंद्र कश्यप था। सन् 1932 में सेलूद में राष्ट्रीय सप्ताह के कार्यक्रम और तत्पश्चात नवंबर 1933 में गांधी जी के दुर्ग आगमन से पूरे पाटन क्षेत्र में नयी चेतना जागृत हुई, अयोध्या प्रसाद जी सन् 1936 में कांग्रेस के नियमित सदस्य बन सभाओं में भाग लेने लगे थे ।
सन् 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेते हुए तिरंगा झंडा लेकर पाटन के गांव में पैदल मार्च कर लोगों को ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध जागृत किया था, अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन में सेलूद के ब्रिटिश गेस्ट हाउस में प्रदर्शन करने का कार्यक्रम तय किया गया था। इसके तहत् प्रथम जत्थे में अयोध्या प्रसाद जी थे। 13 अक्टूबर, 1942 को अंग्रेज शासन के विरुद्ध नारे लगाते हुए सेलूद में वे गिरफ्तार हुए। उन्हें 14 अक्टूबर, 1942 से 26 जून, 1943 तक कारावास में रहना पड़ा था । उनका देहावसान 10 नवंबर, 1976 में हो गया।