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Unsung Heroes Detail

Paying tribute to India’s freedom fighters

समारू राम महोबिया

Durg, Chhattisgarh

January 30, 2023 to January 30, 2024

समारू राम महोबिया का जन्म 7 नवंबर, 1909 को छुईखदान रियासत में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री होलीराम महोबिया था। समारू राम छुईखदान रियासत के एक सक्रिय नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे। वे सन् 1939 में स्थापित स्टेट कांग्रेस के संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने रामनारायण मिश्रा हर्षुल एवं पूनम चंद्रसांखला के साथ मिलकर किसान आंदोलन का सूत्रपात किया था तथा सन् 1935-36 से ही बेगार प्रथा के विरोध में आवाज उठा रहे थे ।

स्टेट कांग्रेस के पश्चात् कांग्रेस परिषद् का पुनर्गठन होने पर श्री गोवर्धन राम वर्मा अध्यक्ष एवं समारू राम महोबिया मंत्री (सचिव) निर्वाचित हुए थे। जनवरी सन् 1939 में नर्मदा ग्राम के वन में 24 जनवरी को उनके नेतृत्व में जंगल सत्याग्रह किया गया। इस जुर्म के लिए रियासती पुलिस ने उन्हें 11 लोगों के साथ गिरफ्तार किया तथा महोबिया जी को 1 वर्ष के कारावास की सजा हुई। जेल से रिहा होने के पश्चात् अगस्त सन् 1942 से भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय हो गए तथा क्रांतिकारी पर्चे छापने के लिए साइक्लो स्टाइल मशीन लेकर रायपुर पहुंचे। रायपुर में प्यारेलाल सिंह के घर से पर्चे छाप कर छुईखदान के साथ अन्य स्थानों में भी क्रांतिकारी पर्चो का प्रसारण किया। उन्हें 1 सितंबर, 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया तथा 3 वर्ष की सजा सुनाई गई।

सन् 1946-47 में वे छुईखदान के विलीनीकरण आंदोलन में भी सक्रिय रहे। अमृतलाल महोबिया, गोवर्धन प्रसाद वर्मा, दामोदर लाल दादरिया आदि को शामिल कर छुईखदान रियासत में उत्तरदायी सरकार की स्थापना के लिए उन्होंने संघर्ष किया था जिसमें वे सफल रहे। उनका देहावसान 24 अक्टूबर, 1997 को हो गया।

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