रामजी नेताम (गोंड) का जन्म धमतरी के जैतपुरी ग्राम में दिनांक 1 जनवरी, 1901 में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री महंगू राम गोंड था। माध्यमिक स्तर तक शिक्षा प्राप्त कर उस समय अपने ग्राम के शिक्षित युवक बन गए थे। इसीलिए उनके ग्राम में आने वाले राष्ट्रीय विचारधारा वाले नेता उनको अपनी सभा में आमंत्रित करते थे एवं उन्हें भी अपना विचार व्यक्त करने के लिए कहते थे। इस तरह रामजी अपने ग्राम के अग्रणी नेता बन गए थे। कंडेल नहर सत्याग्रह के पश्चात् धमतरी क्षेत्र के गांव-गांव में नेताओं की जनजागरण सभा होने लगी थी। नगरी सिहावा के श्यामलाल सोम की सभा जैतपुरी में हुई इस अवसर पर रामजी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर सक्रिय स्वयंसेवक बन गए थे।
सन् 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रारंभ होते ही धमतरी में जंगल सत्याग्रह उग्र रूप धारण करने लगा । वहां पर 10 दिसंबर, 1930 को शासन ने धारा 144 लगाकर भीड़ को रोकने का प्रयत्न किया था किंतु आंदोलन कमजोर नहीं हो पाया। अतः पुलिस ने कांग्रेसी नेता एवं स्वयंसेवकों को गिरफ्तार करना प्रारंभ किया। इसी गिरफ्तारी में रामजी भी गिरफ्तार कर लिए गए तथा 6 माह की सजा हुई। सन् 1932 को सविनय अवज्ञा आंदोलन के द्वितीय चरण में भी रामजी रायपुर शहर में आयोजित विदेशी वस्तुओं की दुकानों में चलने वाले पिकेटिंग में भाग लेते हुए पुनः गिरफ्तार कर लिए गए।
सन् 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय तिरंगा लेकर दिल्ली की ओर पदयात्रा करते हुए यूद्व विरोधी भाषण देने के कारण गिरफ्तार कर लिए गए थे। सन् 1942 में भी उन्हें ग्राम में युद्ध विरोधी भाषण देने एवं प्रतिबंधित धारा का उल्लंघन करने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। उनका देहावसान 8 मई, 1997 में हो गया।