दामोदर प्रसाद त्रिपाठी का जन्म 15 अगस्त, 1924 को छुईखदान रियासत में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री रामगुलाम त्रिपाठी था। प्राथमिक शिक्षा छुईखदान में होने के पश्चात् उन्हें संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए रायपुर के रामचंद्र संस्कृत पाठशाला में पढ़ने के लिए भेज दिया। यह पाठशाला रायपुर की नयापारा बस्ती में स्थित थी, जहां राष्ट्रभक्त युवाओं का निवास था। पाठशाला के आचार्य पंडित विश्वनाथ पांडे स्वयं राष्ट्रीय विचारधारा वाले व्यक्ति थे। अतः जिनके कारण नयापारा के युवा उनके पास आते थे और उनसे प्रेरणा प्राप्त करते थे। इनमें से प्रमुख श्री जयनारायण पांडे थे, जिन्होंने जेल की दीवार को डायनामाइट लगाकर उड़ाने का प्रयत्न किया था।
दामोदर प्रसाद त्रिपाठी विद्यालय के पंडित जी से प्रेरणा प्राप्त कर नयापारा एवं रायपुर शहर के युवाओं के साथ जुलूस एवं सभाओं में भाग लेने लगे थे। श्री राजेंद्र चैबे एवं अन्य आंदोलनकारी नेताओं के लिखे क्रांतिकारी पर्चों का पुलिस से छिपते हुए प्रचार करने लगे। रायपुर के अधिकांश नेता अगस्त सन् 1942 में ही गिरफ्तार हो चुके थे। जयनारायण पांडे और उनके साथी भी गिरफ्तार कर लिए गए। अतः ब्रिटिश शासन विरोधी पर्चों का प्रसार एवं जुलूस निकालने की जिम्मेदारी दामोदर प्रसाद जी जैसे स्कूल जाने वाले छात्रों के हाथों में थी।
2 अक्टूबर, 1942 को श्री मोतीलाल त्रिपाठी के नेतृत्व में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल का पुतला सत्तीबाजार चैक से निकाला। इस जुलूस को रोकने के लिए पुलिस ने पीछा किया किंतु ये स्कूल के छात्र गली-गली होते हुए रेलवे स्टेशन तक पहुंच गए थे। इसमें दामोदर प्रसाद जी भी थेे। रेल्वे स्टेशन पर पंहुचकर पुतला दहन किया गया। उसी समय अनेक युवकों के साथ वे भी गिरफ्तार कर लिए गए। दिनांक 5 अक्टूबर, 1942 से 5 मार्च, 1943 तक रायपुर केंद्रीय जेल में रहे। सन् 1946 से छुईखदान विलीनीकरण आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उनका देहावसान 28 नवंबर, 2018 को हो गया।