भारत सरकारGOVERNMENT OF INDIA
संस्कृति मंत्रालयMINISTRY OF CULTURE
Raipur, Chhattisgarh
January 30, 2023 to January 30, 2024
विष्णुदत्त जोशी का जन्म 12 फरवरी, 1918 को हुआ था। उनके पिता का नाम तारादत्त जोशी एवं माता का नाम श्रीमती समुद्रा देवी था। परिवार के निवासी की अस्थिरता के कारण वे औपचारिक पढ़ाई दूसरी कक्षा तक ही कर पाए थे। किंतु हिंदू धर्म शास्त्रों का पर्याप्त ज्ञान था, बचपन से ही रामलीला आदि स्थानीय नाटकों में भाग लेते हुए उनका झुकाव मंच की ओर हो गया था। साथ ही वे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी जुड़ने लगे थे। प्रभात फेरी एवं जुलूस में वे सस्वर प्रेरणा एवं तिरंगा गीतों को गाते हुए चलते थे। राष्ट्रभक्ति ने उन्हें स्वदेशी और खादी से जोड़ दिया था। उन्हें खादी के वस्त्रों की गांव एवं मोहल्ले में बिक्री के लिए स्वयंसेवक बनाया गया था। श्री माणिकलाल चतुर्वेदी के प्रयत्नों से मेरठ के खादी भंडार की एक शाखा रायपुर में भी खुल गई। चतुर्वेदी जी ने खादी बिक्री के लिए उन्हें रायपुर बुला लिया था। इसके पश्चात् जोशी जी पूरे उत्साह के साथ घर-घर जाकर खादी की बिक्री करते थे। यह काम बहुत जोखिम का था क्योंकि ब्रिटिश शासन ऐसे लोगों के साथ बहुत कड़ाई करती थे और बिक्री बंद करने का प्रयत्न करते थे। व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान यही खादी भंडार सत्याग्रहियों के विश्राम का स्थान होता था और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान क्रांतिकारी सामग्री और लोगों को छिपाने का स्थान भी। खादी केंद्र से जुड़े होने के कारण जोशी जी पर पुलिस की कड़ी निगरानी थी। खादी भंड़ार में छिपाई गई वस्तुओं एवं साहित्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्हें कोतवाली थाने बुलाकर बेतों से पिटाई की गई थी। इसके साथ ही खादी बेचने जाने से रोका गया। 9 अगस्त, 1942 को अधिकांश नेता गिरफ्तार हो चुके थे, अतः खादी भंडार बंद हो गया था। किंतु जोशी जी पुलिस से बचते हुए घर-घर जाकर खादी बेचते रहे तथा क्रांतिकारी पर्चों का प्रसार करते रहे। उन्हें पकड़ने का पुलिस ने प्रयत्न किया किंतु वे हर बार सावधानीपूर्वक भूमिगत हो जाते थे। इस प्रकार उन्होंने भूमिगत रहकर देश की सेवा की थी। सत्याग्रही श्री दामोदर प्रसाद त्रिपाठी जी के साथ जोशी जी छुई खदान के विलीनीकरण आंदोलन में भी शामिल हुए थे।