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Unsung Heroes Detail

Paying tribute to India’s freedom fighters

योगनिधि शास्त्री

Bilaspur, Chhattisgarh

January 30, 2023 to January 30, 2024

योगनिधि शास्त्री जी का जन्म जांजगीर के अवरीद ग्राम में 4 अगस्त, 1909 में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित सेवकराम पाण्डेय एवं माता का नाम श्रीमती सुशीला देवी था। वे प्रारंभिक शिक्षा धनेली में पूर्ण करने के पश्चात् संस्कृत साहित्य में शास्त्री की उपाधि प्राप्त करने बनारस गए थे। वहां पर देश के अनेक नेताओं का भाषण सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। जिससे उनके अंदर राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा जागृत हुई। वापस जांजगीर लौटकर वे राष्ट्रीय संघर्ष में लग गए। यहां पर अकलतरा के बैरिस्टर छेदीलाल एवं ज्वालाप्रसाद मिश्र के सहयोगी के रूप में कार्य करने लगे। सन् 1930 में जंगल सत्याग्रह एवं सन् 1932 में राष्ट्रीय सप्ताह के आयोजन में सक्रिय स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया था।

सन् 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में उन्होंने तिरंगा हाथ में लेकर गांव का दौरा करते हुए ब्रिटिश शासन की युद्ध नीतियों के विरुद्ध भाषण दिया था, इस कारण उन्हें 26 फरवरी, 1941 को 6 माह के कारावास एवं 150 रूपये जुर्माने की सजा दी गयी थी। जेल से मुक्त होने के पश्चात् वे पुनः राष्ट्रीय गतिविधियों में लग गये। अगस्त सन् 1942 में बिलासपुर में भारत छोड़ो आंदोलन की उग्र घटनाओं का प्रभाव जांजगीर में भी पड़ा। योगनिधि जी ने जांजगीर में तिरंगा यात्रा, जुलूस का नेतृत्व, सभाओं का आयोजन तथा गुप्त रूप से क्रांतिकारी पर्चों का प्रसारण किया। उनके नाम से वारंट जारी हो गया था किंतु पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पा रही थी। अंततः वे अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें 9 माह का कारावास एवं 40 रूपये का जुर्माना हुआ। उन्होने बिलासपुर तथा नागपुर जेल में अपनी कारावास की अवधि पूर्ण की। 26 दिसंबर, 1986 में उनका देहावसान हो गया।

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