राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव पर स्लोगन - लेखन एवं साहित्यकार सम्मान का आयोजन अकादमी के एकात्म सभागार में किया गया है।
अकादमी सचिव डॉ. बंसत सिंह सोलंकी ने तिरंगा, उपरना एवं तिरंगे का प्रतीक चिह्न देकर उपस्थिति साहित्यकारों का स्वागत एवं सम्मान किया। डॉ. के.के. शर्मा - स्वतंत्रता का स्वर्णिम संवत्सर अमर रहे, मेरे देश की स्वतंत्रता अखंड रहे, डॉ. ज्योतिपुंज - गंगा जमुना बोल तिरंगे मन की गांठे खोल तिरंगे। डॉ. कुन्दन माली- तिरंगे है देश की शान अमर यहीं अपनी पहनचान। पं. मनमोहन मधुकर - सैनानी वीरों का बलिदान तिरंगा है, इस वर्ष 75 में बलिदान तिरंगा है, रामदयाल मेहर- हर राष्ट्र का होता एक निशान मेरे भारत देश का है तिरंगा शान, कुंदन आचार्य - हर घर गीत तिरंगा गाए आजादी अमृत बरसाए, लोकेश चौबीसा - जब खुद से करो देश प्रेम तब जब हर मन में तिरंगा, गिरिशनाथ माथुर - आजादी के प्रतीक है तिरंगा हमारी आन बान शान है तिरंगा के साथ डॉ. हेमेन्द्र चण्डालिया, प्रमिला सिंघवी, इन्द्रप्रकाश श्रीमाली, मंजु चतुर्वेदी, निर्मल तेजस्वी, जी.एल.मेनारिया, अशोक जैन मथंन दीपक रोशन, तारा दीक्षित, रंजनी कुलश्रेष्ठ शेलेन्द्र लड्ढ़ा, पुष्कर गुप्तेशवर , विजय मारु, श्रीरत्न मेहता, चन्द्ररेखा शर्मा, बालकृष्ण त्रिपाठी, रश्मि दीक्षित, आदि ने तिरंगे झंडे पर रचनात्मक प्रस्तुति (स्लोगन) दी। डॉ. देव कोठारी ने तिरंगे झंडे की रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में समारोह प्रभारी श्री राजेश मेहता ने अतिथियों का आभार एवं धन्यवाद दिया। इस कार्यक्रम का संचालन श्रीमती किरणबाला जीनगर ने किया।