जयपुर। आज़ादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में ढूंढाड अंचल के प्रचलित लोकप्रिय लोक गीतों पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। प्रसिद्ध लोकगीत नाका दो जोड़ी का मो डाला, चाले क्यू ना खेत में करेला तोडांला ने ढूंढाड पूरा संस्कृति को फिर से जन-जन तक पहुंचाया। राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि लोक गायक , रंगकर्मी और लोक कलाओं के मुखर कलाकार ईश्वर दत्त माथुर में ढूंढाड़ अंचल में गाए जाने वाले लोकप्रिय ढूंढाड़ गीतों को गाकर पुरानी संस्कृति की याद ताजा की। माथुर ने सर्वप्रथम गणेश जी को मनाकर कार्यक्रम की शुरू किया। उसके बाद मुर्गो बोलगो पटेलण झट जाग तो सरी सुणाया तो दर्शन वाह-वाह कर उठे l ढूंढाडी लोकगीत मेथी को तो ब्याव रचो छ करेला जी बींदबीं बन आया के बाद हिचकी, मोरिया, चाव चाव में भूल गई फूलां की साड़ी जैसे लोकप्रिय गीतों
से ऑन लाइन जुड़े दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। साथ लोक गायक ईश्वर माथुर ने अपनी पुरकशिश आवाज में लोक भजन सुनाकर मंत्रमुग्ध किया।