आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला में जिला न्यायालय परिसर में 14 मई को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के संबध में सिविल अस्पताल कलानौर के सभागार में एक विशेष निशुल्क जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप ने राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे बताया कि लोक अदालत का मतलब लोगों की अदालत। इसकी संकल्पना गांवों में लगने वाली पंचायतों पर आधारित है। आज के परिवेश में लोक अदालतों के गठन का आधार 1976 के 42वां संविधान संशोधन है, जिसके अंदर अनुच्छेद 39-ऐ में आर्थिक न्याय को जोड़ा गया है। आपसी समझौते के तहत सुलभ तरीके से न्याय पाने के लिए आज हर फरियादी को लोक अदालतों के आयोजन की प्रतीक्षा रहती है, जिसके तहत बैंक, बिजली और पानी के विवाद, इंश्योरेंस, रास्ता, भूमि विवाद, वैवाहिक मामले, सिविल मामले, पेंशन, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण मामले, मनरेगा से जुड़े मामले व प्राकृतिक आपदा इत्यादि से जुड़े मामले राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निपटाये जाते है तथा बैक संबधी मामलो व दुर्घटना से संबधित मामलो का निपटारा भी प्रमुखता से किया जाता है। अधिवक्ता संदीप कुमार ने बताया कि लोक अदालत के निर्णय के खिलाफ किसी भी प्रकार की अपील भी नहीं की जा सकती है। इस अवसर पर सूरज गोयल, यशवीर बुधवार, दर्शन कुमार प्रोग्राम कॉरडीनेटर, जसवीर रंगा ब्लाक एजूकेटर व कलानौर की आशा वर्कर उपस्थित रही।