आजादी के अमृत महोत्सव की श्रंखला में राजकीय महाविद्यालय बिरोहड़ में महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारी मन्मथनाथ गुप्त की 115वीं जयंती के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन कॉलेज के इतिहास विभाग और हरियाणा इतिहास कांग्रेस के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। वक्ताओं ने बताया कि काशी विद्यापीठ में अपनी पढ़ाई के दौरान ही महात्मा गांधी के आह्वान पर मन्मथनाथ 13 साल की आयु में असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। कार्यक्रम के संयोजक और मुख्य वक्ता डॉ. अमरदीप, इतिहास विभागाध्यक्ष ने कहा कि काकोरी कांड में 16 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। वक्त उन्होंने काकोरी रेल डकैती के लिए प्रोफेसर उपस्थित रहे।
राम प्रसाद बिस्मिल का साथ देने का फैसला लिया, उनकी उम्र मात्र 17 वर्ष की थी 1908 में संयुक्त प्रांत के बनारस में जन्मे मन्मथनाथ गुप्त की आरंभिक दो वर्ष की पढ़ाई नेपाल के विराटनगर से और आगे की पढ़ाई काशी विद्यापीठ से हुई। 1921 में ब्रिटेन के प्रिंस एडवर्ड का बहिष्कार करने के लिए गली-गली में लोगों को जागरूक करने के लिए पर्चे और पोस्टर बांटते हुए पहली बार गिरफ्तार हुए। उनका संपूर्ण जीवन भारत की आजादी के लिए समर्पित रहा और आजादी के बाद उन्होंने भारत के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस विशेष कार्यक्रम में इसमें एक मन्मथनाथ गुप्त भी थे जिस डॉ. नरेंद्र सिंह, पवन कुमार, जितेंद्र इत्यादि
