श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में सोमवार को विश्व मृदा दिवस मनाया गया। इस मौके पर कुलपति श्री राज नेहरू और कुलसचिव श्री आरएस राठौड़ ने श्सेव सॉइलश् की अवधारणा पर आधारित स्टीकर जारी किया। कुलपति श्री राज नेहरू ने कहा मृदा का संरक्षण पूरी मानव जाति के लिए बड़ी चुनौती है। मृदा की गुणवत्ता और उर्वरता निरंतर बिगड़ती जा रही है। हमें इस दिशा में गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। भारत के 29 प्रतिशत भू भाग पर मृदा की स्थिति खराब हो चुकी है। हमें अपनी खाद्यान्न की जरूरतों को पूरी करते वक्त भी मृदा संरक्षण और उसकी गुणवत्ता को ध्यान में रखना होगा। साथ ही उन्होंने रसायनों और प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को मृदा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। कुलपति श्री राज नेहरू ने कहा कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय तकनीक और कौशल के विकास के साथ-साथ मृदा संरक्षण के लिए कृत संकल्प है। विशेष तौर पर कृषि संकाय के विद्यार्थियों को इस मानसिकता के साथ तैयार किया जा रहा है कि वह कृषि विकास पर काम करते हुए मिट्टी की सेहत का विशेष ध्यान रखें और किसानों को भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए जाएं, ताकि वह भूमि के प्रदूषण को रोकने में कारगर कदम उठाएं।
इस अवसर पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ आर एस राठौड़ ने भूमि प्रदूषण रोकने के उपायों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि भूमि प्रदूषण को नहीं रोका गया तो भविष्य में मानव जाति के सामने खाद्यान्न का संकट पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि साल 2050 तक अन्न का उत्पादन 60ः तक बढ़ाने की आवश्यकता होगी, लेकिन इसी तरह से मृदा प्रदूषण फैलता रहा तो कृषि प्रधान देश के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। इस मौके पर उन्होंने प्लास्टिक और कीटनाशक के कम से कम इस्तेमाल की सलाह दी। डॉ आर एस राठौड़ ने कहा कि जागरूकता के माध्यम से मृदा प्रदूषण को रोका जा सकता है। विश्व मृदा दिवस के मौके पर हमें इस दिशा में संकल्प लेने की आवश्यकता है। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने मृदा संरक्षण का संकल्प लिया और समाज को इस दिशा में जागरूक करने की बात कही।