आजादी के अमृत महोत्सव के तहत भक्त और परमात्मा के बीच विश्वास की डोर है और भक्तों के विश्वास की रक्षा परमात्मा स्वयं करते हैं। परमात्मा जब भक्तों नवम्बर, प्रातः छ का अनुरागयुक्त समर्पण देखते हैं तो स्वयं दौड़े चले आते हैं। यह बात बी.एम मॉडल के पास चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्री कृष्ण वासुदेव महाराज ने द्वितीय दिवस पर ध्रुव व भरत के चरित्र की कथा कहते हुए कही। कथा व्यास ने उपदेश में कहा कि भक्त ध्रुव की कथा को विस्तार से सुनाते हुए कहा कि जब भक्तों के अंदर विश्वास, अनुराग और समर्पण का भाव होता है, तब ईश्वर क्षण भर भी भक्तों को प्रतीक्षा नहीं कराते और भक्त को दर्शन देते हैं। उन्होंने कहा कि जब ध्रुव ने बाल्यावस्था में जंगल में जाकर ईश्वर का ध्यान लगाया तो भगवान ने आकर उन्हें दर्शन दिये । व्यास वासुदेव महाराज ने कहा कि जब भगवान भक्त के वश में होते हैं तो बहुत सारी लीलाओं का दर्शन कराते हैं। उन्होंने कहा कि भक्त जब-जब ईश्वर को अनुराग व कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कथाव्यास ने कहा कि भगवान के चरित्र गिर्राज सिंह के श्रवण से व्यक्ति का लोक और परलोक दोनों संवर जाते हैं। श्रीमद्भागवत की महिमा को बताते हुए उन्होंने कहा श्रीमद्भागवत के श्रवण मात्र से जीव के सभी पापों का नाश हो जाता है और उसकी संसार में बार-बार के आवागमन कुचक्र से मुक्ति हो जाती है। उन्होंने भरत के चरित्र का सुनाते हुए भक्ति का संदेश दिया।