डॉ. राधा बाई का जन्म इतवारी नागपुर में सन् 1875 में हुआ था। 9 वर्ष की अल्पायु में वे विधवा हो गई थी। जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने दाई का काम सीखा और नागपुर नगर पालिका में नौकरी की। कामटी, रामटेक, अकोला, बिलासपुर में नौकरी करते हुए वे सन् 1918 में रायपुर ट्रांसफर होकर आई और स्थाई रुप में यहीं तात्यापारा में रहने लग गई। रायपुर के माहौल में उनमें भी राष्ट्रीय भावना बलवती हुई और उन्होंने महिलाओं को संगठित किया और नेतृत्व भी किया। खादी और स्वदेशी का प्रचार-प्रसार, शराब बंदी, हरिजनोद्वार और जनजागरण में वे सेवादल की प्रमुख सेविका के रुप में सन् 1920 से कार्य कर रही थीं।
सविनय अवज्ञा आंदोलन में डा.राधाबाई के प्रयासों से सत्याग्रही बहनों का एक जत्था तैयार हुआ था। जिसमें रोहणीबाई परगनिहा, केतकी बाई, फुलकुंवर बाई, पार्वती बाई आदि महिलाएं थी। रायपुर जिले में महिला कार्यकर्ताओं के चार केन्द्र थे जहां सत्याग्रही बहनों को प्रशिक्षण दिया जाता था। साथ ही प्रभात फेरी, धरना, बहिष्कार, प्रदर्शन और जनजागरण के कार्यक्रमों की भी रुपरेखा निर्धारित होती थी। ऐसा ही एक केन्द्र डा. राधाबाई का मकान था और उसका नेतृत्व वे स्वयं करती थी। कीका भाई के मकान के सामने 2 बार धरना प्रदर्शन महिला सत्याग्रहियों ने किया। 29 मार्च सन् 1932 और पुनः 20 अप्रैल को अनेक महिला सत्याग्रहियों को गिरफ्तार किया गया । डा. राधाबाई 13 जून सन् 1937 को गिरफ्तार हुई। उन्हें 6 माह की और 25 रुप्ये की की सजा हुई। उन्होंने व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी हिस्सा लिया था। भारत छोड़ो आन्दोलन में भी डॉ. राधा बाई ने सत्याग्रहियों के एक जुलूस का नेतृत्व किया और गिरफ्तार हुई। उनकी लोकप्रियता और उनके प्रति श्रद्वा इतनी थी कि एक मिडवाइफ को लोगों ने डाॅक्टर माना । 2 जनवरी सन्1950 को उनका स्वर्गवास हो गया ।
References:
- केयूर भूषण का साक्षात्कार, रायपुर 10 जून 2012
- रायपुर नगर निगम रिपोर्ट 1971-72
- मध्यप्रदेश स्वतंत्रता संग्राम सैनिक खण्ड-3, भाषा संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश, भोपाल, 1984