त्रेतानाथ तिवारी का जन्म 4 फरवरी सन् 1904 को हुआ था। शिक्षा प्राप्त करते हुये ही वे राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गये थे और वे बहुत जल्दी ही रायपुर के बड़े नेताओं के सम्पर्क मेें आ गये थे। सविनय अवज्ञा आंदोलन में उन्होंने कई सभाओं को संबोधित किया था और जुलूस निकालते हुए 29 मार्च सन् 1932 को रायपुर के सदर कोतवाली के निकट विदेशी वस्त्रों की सबसे बड़ी दुकान कीका भाई की दुकान पर महिला और पुरुष कार्यकार्ताओं के विशाल समूह के साथ धरना दिया था। थाने के पास होने के कारण धरना प्रारंभ होते ही बड़ी संख्या में पुलिस बल पंहुच गया तथा सत्याग्रहियों से मारपीट की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया इसमें शंकर राव गनोदवाले, त्रेतानाथ तिवारी एवं बहुत सी महिला स्वयं सेविकाएं गिरफ्तार कर लिये गये। कारावास की अवधिपूर्ण कर वे पुनः आंदोलन में सक्रिय हो गये।
9 अगस्त सन् 1942 को गांधी जी के गिरफ्तार होने की खबर पंहुचते ही रायपुर में हलचल शुरु हो गयी स्कूल काॅलेज और अधिकांश दुकाने बंद हो गयी। छात्र एवं अन्य लोग राष्ट्रीय विद्यालय में एकत्र हो गये और वे जुलूस का रुप लेकर महात्मा गांधी की जय, भारत माता की जय का नारा लगाते हुये कंकाली पारा होते हुये कोतवाली चैक होते हुए गांधी मैदान पंहुचे जहां जुलूस, सभा में परिवर्तित हो गया। त्रेतानाथ जी को उसका अध्यक्ष बनाया गया। मौलाना अब्दुल रऊफ जैसे लोगों के भाषणों के साथ उन्होंने भी ओजपूर्ण भाषण दिये और भारत माता के जय के नारे लगाए। सभी वक्ताओं और महत्वपूर्ण लोगों के स्थल पर ही गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया। तिवारी जी को 6 माह 11 दिन का कारावास हुआ, कुल मिलाकर 1 वर्ष 1 माह की जेल की सजा हुई और उन्हें रायपुर सेन्ट्रल जेल में रखा गया था। उन का देहावसान 28 दिसम्बर 1981 में हुआ था।
References:
- केन्द्र षासन द्वारा प्रदत्त ताम्रपत्र
- महाकोषल समिति द्वारा प्रदत्त ताम्रपत्र
- मध्यप्रदेश स्वतंत्रता संग्राम सैनिक खण्ड-3, भाषा संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश, भोपाल, 1984