सोनालाल सोनी का जन्म 4 मई सन् 1923 को रायपुर के निकट आरंग में हुआ था। पिता का नाम श्री दौवा प्रसाद सोनी था। उनका पारिवारिक व्यवसाय सोनारी था। काम के सिलसिले में रायपुर में आते रहते थे। यहां पर सोनी जी का संपर्क नगर के उग्र राष्ट्रवादी मित्रों से हुआ और उनमें अंग्रेज सत्ता का विरोध की भावना का जन्म हुआ। वे काम के लिए रायपुर बंधवा पारा में निवास करने लगे।
सन् 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह का छत्तीसगढ़ के सभी नगरों कस्बो और ग्रामों में प्रभाव था। गांधी जी के आव्हान पर देशभक्तों द्वारा जगह-जगह पर आंदोलन, रैली एवं ब्रिटिश कानून विरोधी कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा था। इसमें क्रांतिकारी पाम्पलेट बांटना, झंडा रोहण करना, नारे लगाने का कार्य किये जा रहे थे। सोनालाल सोनी व्यक्तिगत सत्याग्रह से ही राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गये थे। रायपुर में अपने साथियों के साथ कई कार्यक्रमों में सम्मलित हुये।
अगस्त सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा होते ही रायपुर का वातावरण साम्राज्य विरोधी भावना से गर्म हो गया था। विशेष रूप से पुरानी बस्ती भूमिगत/ क्रांतिकारियों का गढ़ बन चुका था। सोनी जी के कुछ साथी भी क्रांतिकारी घटनाओं में संलग्न थे। अतः सोनाराम सोनी भी पुलिस के नजरो में आ चुके थे। अतः उनके लिये आरंग थाना से गिरफ्तारी वारंट निकाल दिया गया। इस वारंट से वे बिना भयभीत हुये रायपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की गतिविधियों का संचालन गुप्त रूप से करने लगे। सितम्बर सन् 1942 से दिसम्बर सन् 1943 तक लगभग 16 माह भूमिगत रहे और क्रांतिकारी भावनाओं का प्रसार करते रहे। पुलिस के निरंतर खोज बीन करते रहने के बाद भी वे बड़ी कुशलता से अपना कार्य करते हुये राष्ट्रीय चेतना का अलख जगाते रहे।
Sources:
- मध्यप्रदेश शासन कर स्वतंत्रा संग्राम सेनानी प्रमाण पत्र।
- सम्मान निधि स्वीकृति का कार्यालय कलेक्टर रायपुर का आदेश।
- स्वयं के द्वारा किया गया आवेदन की प्रतिलिपि।
- रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से प्राप्त अभिनंदन पत्र।